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आइए जरूरतमंद लोगों के लिए हाथ बढ़ायें l

आधा रमज़ानुल मुबारक गुज़र चुका है, तमाम मुसलमान अपने हुस्ने अमल से अपने अश्कों से रब्बे ज़ुलजलाल को मनाने की कोशिश कर रहे हैं, दिन में रोज़ा रात में न

आधा रमज़ानुल मुबारक गुज़र चुका है, तमाम मुसलमान अपने हुस्ने अमल से अपने अश्कों से रब्बे ज़ुलजलाल को मनाने की कोशिश कर रहे हैं, दिन में रोज़ा रात में नफिल इबादत के साथ साथ तमाम परेशानहाल इंसानियत के लिए दुआ भी हो रही है, पिछले साल की तरह इस बार भी हालात नाज़ुक हैं, इस बार ज़्यादा ज़िम्मेदारी है कि हमें अपने सभी भाई बहनों का जो इस महामारी के चलते हुए घरों में बैठे हैं और आमदनी का कोई जरिया नहीं है उनके अफ्तार और सहरी का इंतजाम भी किया जाना है और बेहतर तरीका यही है कि उनका हक उन तक पहुंचा दिया जाए।
वहीं अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने जिन्हे अपने फज़ल से नवाज़ा है जिनपर ज़कात की अदायगी फ़र्ज़ है उनको बेहतरीन मौका अता किया है कि वह खुद जरूरतमंद तक पहुंच कर उसको उसका हक पहुंचा सके अगर पिछले बरसों में कोई कोताही भी हो गई थी और सही हाथों में आपकी जकात नहीं पहुंच सकी थी तो इस बार आपको मौका मिला है, आप अपने रिश्तेदार,पड़ोसी किसी मिस्कीन मोहताज तक इसे पहुंचा सकते हैं, जकात की रकम 100 या 500 रुपए के टुकड़ों में न बांटे जैसा पहले होता आया है बल्कि हो सके तो एकमुश्त या फिर कुछ जरूरतमंदों में बराबर से तकसीम किया जाए।अगर आपके आस पड़ोस ऐसा कोई नहीं है और बाहर नहीं निकल सकते तो आल इंडिया उलमा व माशाईख़ बोर्ड की टीम लगातार पूरे मुल्क में परेशान इंसानियत की मदद में जुटी है आप इसके जरिए भी सही जरूरतमंदों तक पहुंच सकते हैं ।
इस माहे मुबारक में खूब लोगों की मदद करें। वहीं ख्याल रहे कि किसी की इज्जते नफ़्स को चोट न पहुंचे ।इसी तरह फित्रे की रकम भी अपने हाथों से ईद से कम से कम 3 दिन पहले ज़रूर अदा कर दे क्योंकि इस बार के हालात भी पिछले साल की तरह है।
हालात आप खुद देख रहे हैं, करोना की दूसरी लहर पहले से खतरनाक है, अब दोबारा से लॉकडाउन लगने का सिलसिला शुरू हो चुका है पिछले साल से कारोबार के हालात भी खराब रहे हैं लिहाज़ा इस बार जरूरतमंदों की वैसी मदद भी मुमकिन नहीं होगी लेकिन लोग लाचार हैं ,परेशान हैं,कोई काम धंधा नहीं है उनकी ज़िम्मेदारी भी हम सबकी है तो आइए हम अपने नबी से मुहब्बत करने का दावा करने वाले 12वी वाले आका के सदके में 12- 12 लोगों का ग्रुप बना लें और यह 12 लोग रोज़ के 12 रुपए के हिसाब से 30 दिन का पैसा दे दे यानी एक इंसान 360 रुपए जो कुल मिलाकर 4320 रुपए होगा और इस पैसे से किसी एक घर की मदद कर दें इस तरह हम पर बोझ भी न आएगा और मदद भी हो जायेगी इसे छोटी पहल न जाने अगर हर आशिके मुस्तफा ठान ले तो हम इस मुश्किल घड़ी में मरती हुई इंसानियत के बड़े काम आ सकते है।
पैगम्बर ए इस्लाम पर उंगली उठाने वालों को यह पैगम्बर की तालीम के जरिए ज़बरदस्त जवाब होगा, हमने एफआईआर के पर्चे कटा लिए ज्ञापन दे लिए आइए अब तलीमे नबी से वार करें इन्सानों से प्यार करें, गुस्ताख़ को कानून से सजा दिलाने की लड़ाई भी लड़ी जाए और लोगों की भरपूर मदद की जाए। आइए हम अभी से अपना काम अंजाम दे दें, अल्लाह हम सबको तौफीक अता करे और इस वबा से महफूज़ रखे।
आमीन या रब्बुल आलमीन ।


आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड, अपनी तमाम शाखाओं से अपील करता है कि अपने आसपास लोगों की जितनी मदद मुमकिन हो उसके लिए आगे आएं ।

आल इंडिया ऊलमा व मशाईख बोर्ड, दिल्ली

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