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इमामे हसन की पूरी ज़िन्दगी पैग़ामे अमन है : सय्यद मोहम्मद अशरफ

संभल/18 नवम्बर इमामे हसन मुजतबा की पूरी ज़िन्दगी पैग़ामे अमन है, यह बात आल इंडिया उलमा व मशाइख़ बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछव

संभल/18 नवम्बर

इमामे हसन मुजतबा की पूरी ज़िन्दगी पैग़ामे अमन है, यह बात आल इंडिया उलमा व मशाइख़ बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने संभल में हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम  की शहादत पर हुए एक जलसे में कही.

हज़रत ने इमाम हसन की ज़िन्दगी पर रौशनी डालते हुए बताया की जब इमाम को ज़हर दे दिया गया और आपके छोटे भाई हज़रत इमाम हुसैन आपके पास आए  तो आपने उनसे कहा कि  जिस पर मुझे शक है अगर वही मेरा क़ातिल है तो अल्लाह उसकी पकड़ करेगा वरना मैं सिर्फ अपने शक की वजह से पूरी उम्मत को बवाल में नहीं डाल सकता, ऐसी हालत में भी हज़रत इमाम ने लोगों के बीच मिसाल पेश की और बता दिया की रहती दुनिया तक यही अमल है जिससे अमन क़ायम किया जाएगा .

एक तरफ कर्बला है जहाँ इमाम सर दे कर दीन को बचा रहे हैं और एक तरफ हज़रत इमामे हसन की शहादत है, दोनों ही शहादतें अज़ीम हैं, अब लोग इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत का ज़िक्र तो करते हैं लेकिन इमाम हसन की शहादत का ज़िक्र नहीं होता जो ज़ुल्म है.

हज़रत इमाम हसन मुजतबा ने जो रास्ता दिखाया वह यह है की सुलह के ज़रिये अगर अमन क़ायम हो सकता है तो कोशिश करो और इमाम हुसैन ने बताया जब ज़ालिम दीन को तबाह करने पर आ जाए  तो सर देने में भी गुरेज़ न करो .

आज हमारे पास दोनों ही मिसालें हैं. हमें हर हाल में अमन के लिए काम करना होगा. अगर उसका रास्ता सुलह से निकलता है तो सुलह की जानी चाहिए. यह हज़रत इमामे हसन मुजतबा की पैरवी है और अगर ज़ुल्म नहीं रुकता और ज़ालिम बढ़ता ही जाता है तो क़ुरबानी पेश कीजिये लेकिन हर हाल में मक़सद ए अमन को क़ायम  होना चाहिए .

ज़ुल्म सिर्फ किसी कमज़ोर को सताना नहीं है, ज़ुल्म ज़ालिम का साथ देना भी है, लिहाज़ा होशियार रहिये ,अमन का पैग़ाम आम कीजिये, मोहब्बतों वाली बयार बहनी चाहिए, सबको अपनी ज़िन्दगी इस बात पर जीनी है कि ”मोहब्बत सबके लिए नफरत किसी से नहीं”

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