नई दिल्ली। 26 जनवरी, 2022 विश्व विख्यात संस्था आल इंडिया उलमा व मशाख बोर्ड द्वारा "यौमे जम्हूरिया और सूफ़िया-ए-किराम का पैग़ाम" प्रोग्राम का वर्चुअल
नई दिल्ली। 26 जनवरी, 2022
विश्व विख्यात संस्था आल इंडिया उलमा व मशाख बोर्ड द्वारा “यौमे जम्हूरिया और सूफ़िया-ए-किराम का पैग़ाम” प्रोग्राम का वर्चुअल तौर से बोर्ड के ऑफिशियल पेज पर आयोजन किया गया। और बोर्ड द्वारा पूरे देश में झंडा रोहण कोविड प्रोटोकाल के साथ किया गया।
बोर्ड के कर्नाटक प्रांत अध्यक्ष हज़रत सय्यद तनवीर हाशमी साहब ने कहा कि हमें मुल्क को आगे बढ़ाना है इसके लिए ज़रूरी है अपनी मिली जुली संस्कृति की हम रक्षा करें. संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करें, उन्होंने कहा कि देश को बचाने का अपनी आज़ादी को बरकरार रखने का सिर्फ एक रास्ता है मोहब्बत का, वह भी सबके लिये ,नफरत सड़कों पर जिस तरह घिनौनी तस्वीर पेश कर रही है वह मुल्क के लिऐ बुरा है।
बोर्ड के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य हज़रत सय्यदी मियां साहब ने कहा कि भारत एक अद्भुत देश है, पूरे संसार में ऐसा अनुपम उदाहरण नहीं मिलता जहां इतने धर्म एक साथ मिलजुल कर रहते हैं।
कार्यक्रम में बोलते हुए आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य ख्वाजा सय्यद फरीद अहमद निजामी नायब सज्जादानशीन दरगाह निजामुद्दीन औलिया ने कहा कि बिना संविधान की इज्जत किये देश प्रेम सिर्फ एक ढोंग है, उन्होंने साफ कहा कि हमें अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली को और मज़बूत करना होगा, इसमें विश्वास को बनाए रखना होगा क्योंकि हमारी गंगा जमनी तहज़ीब को जिस तरह नफरत की आग से खतरा है वह बहुत डरावना है, अगर यह तहज़ीब ख़तम हुई तो न कहीं कानून का राज होगा न कहीं लोकतंत्र, हम जिस आज़ादी की बात कर रहे हैं वह एक मज़ाक़ के सिवा कुछ नहीं होगा।
दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दीनाशीन एवम बोर्ड के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव हाजी सय्यद सलमान चिश्ती ने कहा, देश में जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है वह हमारे संवैधानिक ढाँचे के लिए खतरनाक है, लोग धार्मिक आधार पर नफरत का व्यापार कर रहे हैं, देश को बचाने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को भी आगे आना होगा।
मौलाना गुलाम रसूल देहलवी ने लोगों को सोशल मीडिया की ताकत से रूबरू कराते हुए कहा कि जहां यह विकास प्रतीक है वहीं गलत इस्तेमाल से सबसे बड़ा खतरा है. लिहाज़ा हमें होशियार रहना होगा।
कार्यक्रम का संचालन यूनुस मोहानी ने किया।
आखिर में देश में अम्न व शांति की दुआ की गयी।
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