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ज़ुल्म किसी के भी साथ हो हमें मजलूम के साथ खड़े होना है: सय्यद मोहम्मद अशरफ

सैफनी रामपुर/9 जनवरी ज़ुल्म किसी के भी साथ हो हमें मजलूम के साथ खड़े होना है ये इस्लाम की तालीम है ,यह बात कल सैफानि रामपुर में जश्ने गौसुलवरा को संबो

सैफनी रामपुर/9 जनवरी
ज़ुल्म किसी के भी साथ हो हमें मजलूम के साथ खड़े होना है ये इस्लाम की तालीम है ,यह बात कल सैफानि रामपुर में जश्ने गौसुलवरा को संबोधित करते हुए आल इंडिया उलेमा व माशाइख़ बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने कहीं ।हज़रत ने कहा पैग़म्बरे अमन व शांति ने हमें यही तालीम दी मोहब्बत , मुआफ़ करने का जज़्बा,ज़ालिम की मुखालफत,यह मुसलमान की पहचान है।
उन्होंने कहा कि हमारी ज़िम्मेदारी है कि अपने अमल से लोगों को बताए कि मुसलमान ऐसे होते हैं , मस्ज़िदों को भर दें ,दावत का यही तरीका सूफिया ने अपनाया अपने किरदार को लोगों के सामने पेश किया। लेकिन हम तब ज़ुल्म के खिलाफ खड़े होते हैं जब हम पर ज़ुल्म हो वरना हम खामोश रहते हैं यह गलत है।
हज़रत ने साफ तौर पर कहा कि मजलूम की हिमायत उसका मजहब या ज़ात देखकर नहीं की जाती, ज़ालिम का विरोध हर हाल में किया जाना चाहिए ,यही पैग़ाम हमे हमारे नबी ने दिया। देश में जिस तरह नफ़रत बढ़ रही है उससे सबको मिलकर निपटना होगा और नफरत से लडने के लिए मोहब्बत हमारा हथियार है ,दलितों ,आदिवासियों, ईसाई भाइयों सिख भाइयों सहित समाज के हर तबके के साथ जिसपर ज़ुल्म हो रहा है हमे खड़े होना होगा ।

By: Yunus Mohani

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