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ईद मीलादुन्नबी किसी धर्म के लिए नहीं, पूरी इंसानियत के लिए ख़ुशी का दिन-सय्यद अशरफ

लखनऊ(28 अप्रेल 2017) इस्लाम शांती और सलामती का धर्म है और हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म तमाम इंसानों के पैग़ंबर हैं! इसलिए  ईद-मीलादुन

लखनऊ(28 अप्रेल 2017)

इस्लाम शांती और सलामती का धर्म है और हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म
तमाम इंसानों के पैग़ंबर हैं! इसलिए  ईद-मीलादुन्नबी को किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, यह पूरी इंसानियत के लिए ख़ुशी का मौक़ा है। सूफ़ियाए किराम  ने भी हुज़ूर ﷺ की शांति , आपसी सहिष्णुता और  मोहब्बत की शिक्षाओं को आम किया है। यही कारण है कि उनके जीवन के किसी कोने में घृणा का नाम व निशान तक नहीं मिलता, उन्होंने हर अच्छे और बुरे को अपने पास बिठाया और अपनी शिक्षाओं और प्रेम द्वारा उसे प्यार करने वाला बना दिया! हक़ीक़त  में इस्लाम की उज्ज्वल शिक्षाओं द्वारा ही समाज से घृणा और आतंक  के वातावरण को समाप्त किया जा सकता है! इन विचारों को आल इंडिया उलमा व मशाइख़ बोर्ड के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष  हज़रत मौलाना सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने लखनऊ कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए रखा। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साफ़ कहा कि हम भी मानते हैं कि छुट्टियों से काम प्रभावित होता है इसलिए इन्हें  कम किया जाना चाहिए लेकिन ईद मीलादुन्नबी की  छुट्टी समाप्त करना सही निर्णय नहीं है क्योंकि यह त्यौहार शांति का त्यौहार है,शांतिपूर्ण  तौर पर इसे मनाया जाता है।
हज़रत ने कहा ” मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है कि इस्लामी शिक्षाओं को अपने  जीवन के हर क्षेत्र में अपनाएं , ज्ञान प्राप्त करें, दूसरों की भावनाओं का ख्याल रख्खें, तनाव का माहौल उत्पन्न न होने दें और मोहब्बत का पैग़ाम आम करें।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए सय्यद शादान शिकोही (प्रदेश अध्यछ ) ने कहा कि किसी भी संगठन की शक्ति उसके सदस्य होते हैं, इसलिए  हमें सदस्यता अभियान पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। उन्होंने बोर्ड की तहसील स्तर तक इकाइयों के बनाये जाने पर ज़ोर दिया और उम्मीद जताई कि जल्द ही ज़िला शाखाओं से यह काम शुरू कर दिया जाऐगा । उन्होंने सुझाव दिया कि घृणा और आतंक के वातावरण में एक समीति का गठन किया जाऐ जिसमें सभी धर्मों के लोगों की भागीदारी हो जो सूफ़ी शांति संदेश को जन जन तक पहुंचाएं! उनके इस सुझाव का भी लोगों ने स्वागत किया।
हज़रत मौलाना मक़बूल अहमद सालिक मिस्बाही  ने बोर्ड के उद्देश्यों और कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक मासिक पत्रिका शुरू किये जाने का प्रस्ताव रखा जिस पर बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि इंशाअल्लाह जल्द ही  ग़ौसुल आलम मासिक उर्दू में और सूफी विज़न नाम से अंग्रेजी में मासिक निकाला जाएगा जिसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।
मुफ़्ती सय्यद अज़बर अली ने भी ईद मीलादुन्नबी की छुट्टी को खत्म किये जाने पर अफ़सोस ज़ाहिर किया!
बैठक में मस्जिदों के इमामों की  समस्याओं पर विचार किया गया और यह प्रस्ताव किया गया कि  मस्जिद के इमामों का एक संगठन बनाया जाये जिसके तहत मस्जिद के इमामों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया जाए और उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाये जिससे  उनकी आर्थिक समस्याओं  के समाधान  में मदद मिल सके।
बैठक में सय्यद हम्माद अशरफ किछौछवी (प्रदेश सचिव),सय्यद सिराज अशरफ ,मौलाना इश्तियाक क़ादरी (लखनऊ ज़िला अध्यक्ष ) हाफिज़  मुबीन अहमद (सदर बरेली), क़ारी मोहम्मद अहमद बक़ाई, क़ारी मोईनुद्दीन, मुफ्ती सय्यद निसार अहमद, सय्यद इज़हार मुराद , मौलाना गुलाम रब्बानी, मौलाना हसीब मिस्बाही, मुफ्ती नसीम अख्तर अशरफी ,निगार आलम , क़ारी इरफान अहमद संभली, एडवोकेट हाशमी, मोहम्मद आलम ,असद कुरैशी , अब्दुर्रहमान मौजूद रहे! बैठक का समापन सलाम, देश में शांति और व्यवस्था की दुआ पर हुआ।

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