20 मार्च को दिल्ली के "रामलिला मैदान" में आयोजित इन्टरनेशनल सूफी कांफ्रेंस मे भाग लेने का किया आहवान गया-09 फरवरी - प्रेस विज्ञप्ति इन्टरनेशनल सूफी
20 मार्च को दिल्ली के “रामलिला मैदान” में आयोजित इन्टरनेशनल सूफी कांफ्रेंस मे भाग लेने का किया आहवान
गया-09 फरवरी – प्रेस विज्ञप्ति
इन्टरनेशनल सूफी कांफ्रेंस समय की अहम जरूरत है। क्योंकि सुफिया ए कराम की शिक्षा ने लाखों बेराह लोगों को सीधी राह पे लाने का काम किया है। हिन्दुस्तान के अन्दर सूफियों की मानवीय सेवाओं का इतिहास रहा है। ईस्लाम के शांति और भाईचारा की शिक्षा को सूफियों ने व्यवाहारिक तौर पर अपनी जिन्दगी में जगह दी, यही वजह है कि खानकाहें आज भी शांति और भाईचारा की प्रतीक के तौर पर देखी जाती है। बीती शताब्दी में सूफियों की शिक्षा को जिस तरह आम किया जाना चाहिए था वह नहीं हो सका। जिसकी बुनियाद पर समाज में बहुत सारी खराबिया पैदा हुईं जिसकी चपेट में आज पूरा विश्व नजर आता है। कहीं दहशतगर्दी है तो कहीं देश और धर्म से बेजारी की फिकर। असहिष्णुता के वाकेयात आए दिन सामने आ रहे है। बुद्धिजिवियों का मानना है कि इन हालात का एक मात्र हल तसव्वुफ (सूफीमत) है। अगर बड़े पैमाने पर तसव्वुफ की सही सही शिक्षा को आम किया जाए और व्यवाहारिक तौर पर तसव्वुफ को अपनी जिन्दगी में जगह दी जाए तो इन सभी खामियों पर आसानी से लगाम लगाया जा सकता है। इन्ही बड़े मकासिद के अंतर्गत आल इंडिया ओलमा व मशाईख बोर्ड अगामी 20 मार्च 2016 को रामलीला मैदान में इन्टरनेशनल सूफी कांफ्रेंस का आयोजन करने जा रहा है। जिसमें लगभग 20 देशों से ओलेमा व मशाइख और बुद्धिजिवि सैकड़ों की संख्या में आने की संभावना है। जिसकी तैयारी पूरी उत्साह और लगन के साथ जारी है। बिहार राज्य से भी बड़ी संख्या में ओलेमा व मशाइख के अतिरक्ति बुद्धिजीवी, इस्लामी स्कालर्स और आम जनता की उपस्थिति होगी। तैयारी का जाएजा लेने के लिए आज 9 फरवरी को खानकाह मुनअमिया, रामसागर गया में आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड (बिहार) की एक अहम बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता बोर्ड के बिहार के अध्यक्ष मौलाना सैयद एैनुद्दीन चिश्ती ने की जिसमें उलमा व मशाइख ने सूफियों के मानवीय सेवाओं और उनके उपदेश के असरात पर बोलते हुए कहा कि सूफियों की राह पर चल कर और इसे आम करके ही आतंकवाद का खात्मा और समाजिक बुराईयों को बुनियाद से उखाड़ फेका जा सकता है। आज हर तरफ नफरत की बीज बोया जा रहा है इसलिए हमारे हिस्से में नफरत आ रही है जबकि सूफियों ने मुहब्बत और भाईचारा के पैगाम को आम किया है और मुहब्बत की तालीम दी है क्योंकि मुहब्बत से ही लोग उनके पास खिंचे आते थे और पत्थर को मोम बना देते थे। इसलिए आज सुफियों के इसी राह पर अमल करके अमन व शांति के बिखरते शिराज को बचाया जा सकता है। आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड सैयद मोहम्मद अशरफ किछोछवी के नेतृत्व में सुफियों की शिक्षा को फिर से बहाल करना चाहता है। उन्होने आतंकवाद की समाप्ति और सुफिइज्म को बढ़ावा देने की बड़े पैमाने पर अभियान चला रखा है। इस अवसर पर बोर्ड के बिहार फोरम ने कांफ्रेंस की कामयाबी के विषय पर विस्तृत चर्चा की। जिसमें 20 मार्च को दिल्ली के रामलिला मैदान में होने वाले इन्टरनेशनल सूफी कांफ्रेंस की तैयारियों का जाएजा लेते हुए पूरे बिहार के प्रतिनिधियों के दिल्ली जाने, जागरूकता पैदा करने, व्यापक प्रचार प्रसार करने समेत इससे सम्बंधित तमाम समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई तथा अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की गई।
इस अवसर पर बिहार फोरम के महासचिव सैयद मो॰ सबाहउद्दीन मुनअमी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि देश के मौजुदा हालात में सुफीमत की आवश्यकता बहुत ज्यादा बढ़ गई है जिसे पूरा हिन्दुस्तान महसूस कर रहा है। ऐसे हालात में ओलेमा व मशाईख बोर्ड ने जो बीड़ा उठाया है उसका समर्थन होना ही चाहिए। सैयद हुसैनुल हक शुहुदी ने कहा कि आज देश समेत पूरे विश्व में जिस खौफनाक दहशत का सामना है उसका हल सिर्फ तसव्वुफ में ही निहित है। बैठक में आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के बिहार फोरम के उपाध्यक्ष मौलाना सैयद नुरूद्दीन असदक मिस्बाही ने कहा कि आतंकवाद के खात्मा के लिए ओलेमा व मशाइख बोर्ड ने जो कदम उठाया है वो मुबारकबाद के काबिल है। उन्होने बोर्ड की नीतियों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कॉनफ्रेन्स को कामयाब बनाने के लिए आम जनता से अपील की। अंत में बिहार फोरम के अध्यक्ष मौलाना सैयद एैनुद्दीन चिश्ती ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज पूरा देश असहिष्णुता, आंतकवाद एवं नफरत की हवाओं में गिरफतार है जिससे देश में खौफ का महोल पैदा होता जा रहा है। ऐसे स्थिति में मशाइख व सूफिया की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी खानकाहों से निकल कर देश के विकास , उन्नति और कौमी एकता के लिए बाहर आऐं।
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