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शांति के बिना विकास की परिकल्पना भी बेईमानी : सय्यद मोहम्मद अशरफ

13 मार्च/ हिंदौर सूरतगढ़, "शांति के बिना विकास की परिकल्पना भी बेईमानी" वर्ल्ड सूफी फोरम और आल इन्डिया उलमा व मशायख बोर्ड के संस्थापक व अध्यक्ष हज़रत

13 मार्च/ हिंदौर सूरतगढ़,
“शांति के बिना विकास की परिकल्पना भी बेईमानी” वर्ल्ड सूफी फोरम और आल इन्डिया उलमा व मशायख बोर्ड के संस्थापक व अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने यह बात एक जलसे को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा,विकास के लिए पहली शर्त है शांति, अगर अमन को खतम किया गया तो विकास के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता, हज़रत ने कहा कि पैग़म्बरे अमन ने तालीम दी जिससे पूरी दुनिया में निश्चित तौर पर शांति कि स्थापना की जा सकती है, उन्होंने कहा, नबी ने फरमाया कि तुम्हारा पड़ोसी तुम्हारे शर से अगर महफूज़ नहीं है तो तुम मोमिन नहीं हो सकते, सिर्फ इस हदीस पर अमल करने से शांति स्थापित की जा सकती है।
हज़रत ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा की शिक्षा नहीं देता, सभी धर्म कहते हैं कि मानवता की रक्षा की जानी चाहिए, फिर इस्लाम ने तो जानवरों तक के अधिकार बताए हैं और पैगम्बर ने तालीम दी कि किसी चिड़िया का घोसला भी न उजाड़ा जाए। मुसलमानों की ज़िम्मेदारी अमन क़ायम करने की ज़्यादा है क्योंकि हमें लोगों के लिए भलाई करनी है, अगर खुद को बेहतरीन लोगों में शामिल करवाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि आपस में मोहब्बत के साथ रहना और अपने पड़ोसी के हुकूक अदा करना हमारी ज़िम्मेदारी है, उसे निभाना होगा, उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह हिन्दुस्तान में सूफिया ने मोहब्बत की तालीम को आम किया है, उस पर ध्यान देकर अमल करना होगा क्योंकि मुल्क के विकास में हमारा योगदान अग्रणी होना चाहिए।

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