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देश के बिगड़ते हालात पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत: अब्दुल मोईद अज़हरी

एम एस ओ के अध्यक्ष और माहनामा एहसास राजस्थान के एडिटर मुफ्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही की आल इंडिया उलमा मशाईख़ बोर्ड के प्रतिनिधि से मुलाक़ात नई दिल्ली (22

एम एस ओ के अध्यक्ष और माहनामा एहसास राजस्थान के एडिटर मुफ्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही की आल इंडिया उलमा मशाईख़ बोर्ड के प्रतिनिधि से मुलाक़ात
नई दिल्ली (22 जुलाई)
जिस तरह से देश अशांति और सांप्रदायिकता की तरफ बढ़ता जा रहा है, इसके मौजूदा हालात देखते हुए भविष्य की तिथियाँ बड़े अंधेरे में नज़र आ रही हैं। देश के विशेष वर्ग मुस्लिम और दलितों को निशाना बनाने वाली भीड़ देश के क़ानून और न्यायपालिका को नकारते हुए देश की सदियों पुरानी संस्कृति में दरार डाल कर कुछ देश विरोधी तत्वों के इशारे पर बेगुनाहों का खून और उनको भयभीत करने पर तुले हुए हैं। देश के प्रधानमंत्री के बयान को भी खारिज कर देने वाली भीड़ क़ानून को अपने हाथों में लेकर उसके संविधान को चुनौती देने की कोशिश कर रही है। ऐसे नाजुक हालात में मुसलमानों का धैर्य देश और उसकी संस्कृति और शांति से जुड़े रहने का संदेश देता है! मुसलमानों के इस किरदार ने उन्हें राष्ट्र विरोधी तत्वों के नापाक सपनों को साकार नहीं होने दिया जिससे वे देश में फिर इंसानों का खून पानी की तरह बहाने की कोशिश कर रहे हैं। इन विचारों को ऑल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड युवा जनरल सक्रेटरी अब्दुल मोईद अज़हरी ने आज खुसरो पार्क क़ब्रिस्तान में मौजूद मस्जिद और दरगाह फिरदौसी पर विवाद को लेकर आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड के सदर कार्यालय में बैठक करने आए एम एस ओ अध्यक्ष मौलाना खालिद अय्यूब मिस्बाही से एक बैठक में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि मस्जिद पर किसी भी तरह की अवैध कार्रवाई के खिलाफ क़दम उठाया जाएगा और बोर्ड मुमकिन कोशिश कर रहा है।
मौलाना खालिद अय्यूब मिसबाह ने कहा कि जिस तरह से मस्जिद और मदरसा के खिलाफ और वक्फ बोर्ड में धांधली की परंपरा देश में ज़ोर पकड़ती जा रही है वह किसी भी रूप में देश को विकास की ओर ले जाने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बिना धर्म और राष्ट्र भेदभाव के जनता की संपत्ति और औक़ाफ़ की संपत्ति असल हक़दार के बौद्धिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मजबूती में इस्तेमाल होनी चाहिए। लेकिन जिस तरह से वक्फ बोर्ड की मनमानी और भ्रष्टाचार इस संपत्ति और उसके असल हक़दार का शोषण कर रहा है। उसके इरादे साफ नजर आ रहे हैं। सरकारों की चुप्पी भी संदेह पैदा कर रही है।

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