HomePress ReleaseStatements

सूफियों की नहीं ‘ओवैसी’ अपनी कब्र की चिंता करें: सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछ्वी

अहमदाबाद 17 दिसंबर 2016 बीस साल तक कांग्रेस के साथ राजनीति करने के बाद, खुद को खानकाही बताकर सूफियों का समर्थन हासिल करके भारत भर में मशहूर होने वाले

अहमदाबाद 17 दिसंबर 2016

बीस साल तक कांग्रेस के साथ राजनीति करने के बाद, खुद को खानकाही बताकर सूफियों का समर्थन हासिल करके भारत भर में मशहूर होने वाले असदुद्दीन ओवैसी जब से वहाबियत के शरण में गये हैं उन्हें अब सूफी अच्छे नहीं लगते। उन्हें अब वहाबियत की इमामत में यूपी का चुनाव लड़ना है। वह इतना भावुक हो गए हैं कि सूफियों और खानकाहों को कब्र की चिंता दिला रहे हैं। गुजरात की तस्वीर दिखाकर मुजफ्फरनगर, अजमेर, माले गांव, मलियाना और भागलपुर के नाम पर सिआसत कर रहे हैं। उपरोक्त विचार ऑल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछ्वी ने कल यहां अहमदाबाद कार्यालय में आयोजित एक बैठक में व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि ओवैसी की आलोचना बोर्ड की नहीं बल्कि सूफिया और खानकाहों की है। अपने जलसों में हैदराबाद  की खानकाहे कादरिया मुसविया के सज्जादा नशीन सय्यद काजिम पाशा का संरक्षण प्राप्त करने वाले आज उन्हीं के विरोधी हो गए हैं, और उन्हें भी निशाना बना डाला। जमीअतुल उलेमा के मौलाना महमूद मदनी प्रधानमंत्री की कार में बैठे थे तो उन्हें भाजपा नज़र नहीं आई। अभी ईद मिलन समारोह में पूरी वहाबियत ने मिलकर भाजपा और आरएसएस को दावतें खिलाईं इसमें भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि बोर्ड ने तो कभी भी किसी राजनीतिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं की और न ही किसी मिल्ली मसायल में कोई मतभेद किया। फिर आखिर इससे लोग डर क्यों रहे हैं?

सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछ्वी ने कहा कि सुहेब कासमी और मतीनुल हक उसामा जैसे लोगों ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया तब भी उन्हें कुछ नजर नहीं आया। बार-बार देवबंद का दौरा और वहाबी राजनीतिक दलों से राजनीतिक बैठकों में ऐसे  क्या हालात बने हैं जिससे सूफी कांफ्रेंस का विरोध ज़रूरी हो गया है? ऑल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के विरोध ही से उन्हें कौन सा राजनीतिक लाभ मिलने वाला है? उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम मुद्दों पर आवाज उठाते रहे हैं। राजनीतिक होने के नाते उन्हें सभी विचारधारा के लोगों को लेकर चलना भी पड़ता है लेकिन किसी को खुश करने के लिए किसी की बेजा और बे महल विरोध कुछ और बयान कर रही है कि क्या बात है जिसकी पर्दादारी है! इस सूफी कांफ्रेंस में पूरे देश के सूफी सुन्नी मुसलमान अपनी खानकाहों और दरगाहों का प्रतिनिधित्व करने के साथ शामिल थे। दक्षिण भारत की खानकाहे भी इसमें आगे थीं। सब के ऊपर गलत आरोप लगा के ओवैसी क्या करना चाहते हैं? इन खानकाहों से जुड़े हैदराबाद के ही सूफी सुन्नी मुसलमानों की भावनाओं, उनकी आस्था को आहत कर ओवैसी किसे खुश करना चाहते हैं? सय्यद आलमगीर अशरफ ने खुला एलान किया कि अगर ओवैसी के पास बोर्ड के खिलाफ या खानकाहों के खिलाफ कोई सबूत हो तो दें वरना बताएं कि ऐसा करने के लिए वह किसके साथ सौदा किये हैं।

उन्होंने कहा कि ओवैसी को यह मालूम होना चाहिए कि बोर्ड अखबारी बयानबाजी नहीं बल्कि जमीनी काम करता है। तीन तलाक पर जो हमारा स्टैंड कल था वही आज है। हमने कल भी बयान दिया था और आज भी इसलिए लड़ रहे हैं। उन्होंने ओवैसी से सवाल करते हुए कहा कि एक पढ़े लिखे होकर इतनी गिरी हुई बात करने से पहले सोचना चाहिए, जानकारी भी हासिल कर लेनी  चाहिए। हालांकि वे ऐसा करते हैं लेकिन इस मामले में वह ऐसा क्यों नहीं कर सके आश्चर्य है।

बैठक में उलेमा मशाईख बोर्ड गुजरात की राज्य इकाई, अहमदाबाद, दीसा, राजकोट और मोडासा जिला इकाई के साथ अहमदाबाद के उलमा, मशाईख और जिम्मेदार मौजूद रहे। बैठक के बाद रात को ईद मीलादे नबी (सल्ल०) का आयोजन हुआ। सलाम और दुआ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

COMMENTS

WORDPRESS: 0
DISQUS: 0