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 सपनों का हिन्दोस्तान बनाना आज़ादी के परवानों को सच्ची श्रधांजलि: उलमा मशाइख बोर्ड

14 अगस्त 2018 ग़ालिब अकादमी, बस्ती हज़रत निजामुद्दीन में आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड द्वारा आयोजित “एक शाम आज़ादी के परवानो के नाम “कार्यक्रम में बोलते

14 अगस्त 2018 ग़ालिब अकादमी, बस्ती हज़रत निजामुद्दीन में आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड द्वारा आयोजित “एक शाम आज़ादी के परवानो के नाम “कार्यक्रम में बोलते हुए दरगाह निज़ामुद्दीन औलिया के गद्दीनशीन हज़रत सय्यद फरीद अहमद निज़ामी ने कहा कि “सपनों का हिन्दोस्तान बनाना आज़ादी के परवानों को सच्ची श्रधांजलि होगी” उन्होंने कहा कि हम सबकी साझा ज़िम्मेदारी है कि देश से भ्रष्टाचार को हटाने का भरसक प्रयास करें ताकि समाज की अंतिम पंक्ति में बैठे इंसान तक ऊपर से चलने वाली योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके.

दिल्ली वक्फ बोर्ड और हज कमेटी के ई .ओ.अशफाक अहमद आरिफी ने जंगे आज़ादी के सिपाहियों को सलाम करते हुए कहा कि मुस्लिम उलमा ने जंगे आज़ादी में जो किरदार पेश किया वह बेमिसाल है. अल्लामा फज़ले हक़ खैराबादी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ जिहाद का फतवा देने वाले मौलाना ने मुल्क की आज़ादी के लिए जान कुर्बान कर दी और फिरंगी हुकूमत कि जड़ों में दही डाल दिया जब यह लडाई आगे बढ़ी तो अनगिनत आलिमे दीन ने अपने खून से इसको ताक़त दी. दिल्ली उर्स कमेटी के चेयरमैन ज़ाकिर खान ने कहा का खानक़ाहों का बड़ा रोल जंगे आज़ादी में रहा, समाज को दिशा देने का काम यहाँ से किया जाता है, मोहब्बत का संदेश आम किया जाता है, इस मुश्किल दौर में खानक़ाहों की बड़ी ज़िम्मेदारी है कि मुल्क की आज़ादी को बरकरार रखने और सपनों का भारत बनाने के लिए समाज को दिशा दें और यह काम हो भी रहा है. सय्यद आज़म अली सज्जादानशीन हज़रत तुर्कमान बियाबानी रह्मतुल्लाह अलैहि ने कहा कि मुल्क को फिरंगी चंगुल से आज़ाद कराने में सभी देशवासियों ने मिलकर लडाई लड़ी, मुसलिम उलमा ने अपना किरदार बखूबी अंजाम दिया, अब ज़िम्मेदारी हम सबकी है कि इस आज़ादी का मोल समझें, अपनी आने वाली नस्लों को बतायें कि इस आज़ादी को हासिल करने में हमने अपनी जानों के नज़राने पेश किये हैं, इस चमन को हमें हर हाल में सुरक्षित रखना है. कार्यक्रम में बोलते हुए स्थानीय विधायक श्री प्रवीन कुमार ने कहा कि बोर्ड का यह प्रयास सराहनीय है. उन्होंने कहा कि देश भ्रष्टाचार के दलदल में फँस गया है अब हमें दोबारा लडाई लड़नी है इसलिए हमें अपना इतिहास पढना होगा, अपने बुजुर्गों की कुर्बानियां याद करनी होगी. श्री अनिल बाजपाई विधायक (गांधीनगर) ने कहा कि गोरों से मुल्क आज़ाद हो गया है लेकिन काले अंग्रेजों ने अपनी गन्दी नज़र देश के खज़ाने पर डाली हुई है, हमें इनकी लालची सोच से मुल्क को आज़ाद करना होगा, यही शहीदों को हमारी श्रधांजलि होगी. श्री नितिन त्यागी विधायक (लक्ष्मी नगर) ने कहा कि देश आज़ादी का जश्न मना रहा है लेकिन नफरत की बेड़ियाँ हमें क़ैद करने पर तुली हैं, मुल्क को नफरतों के तूफ़ान से बचाना हम सब की सांझी ज़िम्मेदारी है. प्रोफेसर ख्वाजा मोहम्मद इकरामुद्दीन, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के प्रोग्रामों का आयोजन असल में इस लिए होता है कि हम ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए जो बलिदान दिये हैं उनको याद करें, क्योंकि इतिहास हमें देश की मोहब्बत के लिए ज़हनों को ताज़ा करता है. इस दिन को इसलिए भी याद रखने की जरूरत है, क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में इतिहास को मिटाने का सहज प्रयास किया जा रहा है, खासकर मुस्लिम समुदाय में उलमा ने विशेष तौर पर इसके लिए प्रयास किया है. तारीख को जीवित रखने के लिए ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है. गुलाम रसूल देहलवी ने जंगे आज़ादी पर अहम् जानकारी दी ,कार्यक्रम को सय्यद फरहान हक्की सज्जादा नशीन हज़रत मोहद्दिस अब्दुल हक देहलवी र.अ., सय्यद वकील अहमद, अब्दुल मोईद अजहरी, ,एफ. आई. इस्माइली,ने भी संबोधित किया.

कार्यक्रम का संचालन करते हुए यूनुस मोहानी ने कहा कि आज़ादी की क़ीमत समझे बगैर उसका हक़ अदा नहीं किया जा सकता, लिहाज़ा हम सब को मिलाकर जान से प्यारे हिन्दोस्तान में एक बार फिर घर घर तक यह संदेश पहुँचाना होगा कि देश है तो हम हैं, नफरत की दीवार गिराकर इसकी तरक्की के लिए आगे आयें. कार्यक्रम का प्रारम्भ मौलाना मुख़्तार अशरफ ने क़ुरआन मजीद की तिलावत से की, हाफिज क़मरुद्दीन ने नात पेश की और हाफिज़ हुसैन शेरानी ने क़ौमी तराना गाया. आखिर में सय्यद शादाब हुसैन रिज़वी ने लोगों का शुक्रिया अदा किया. कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के बाद मुल्क में अमन व चैन की दुआ के साथ हुआ.

By: यूनुस मोहानी

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