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सख्त कानून बनाने से नहीं बल्कि अच्छा समाज बनाने से रुकेंगे बलात्कार : सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी

4 दिसंबर,लखनऊ आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड के अध्यक्ष एवं वर्ल्ड सूफी फ़ोरम के चेयरमैन हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने लख़नऊ में बोर्ड की मीटिंग क

4 दिसंबर,लखनऊ
आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड के अध्यक्ष एवं वर्ल्ड सूफी फ़ोरम के चेयरमैन हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने लख़नऊ में बोर्ड की मीटिंग के दौरान नागरिकता बिल पर बात करते हुए कहा कि संविधान की रक्षा उसपर अमल करने से होगी सिर्फ बात करने से नहीं जब भारत का संविधान पंथ निरपेक्ष है और उसमें न्याय की द्रष्टि में सबको समान माना गया है तो उसमें धर्म के नाम पर फर्क करना गैर संवैधानिक और संविधान की मूल भावना के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि अभी नागरिकता बिल पर जिस तरह की बात हो रही है उससे ऐसा महसूस होता है कि यह बिल राजनीत से प्रेरित है सरकार को इसपर विचार करना चाहिए क्योंकि धर्म के नाम पर भेद करना भारत के संविधान के खिलाफ काम होगा ।
हैदराबाद में डॉक्टर प्रियंका रेड्डी के साथ हुई घिनौनी घटना पर बात करते हुए कहा कि देश में बलात्कार किसी भी सख्त कानून बना देने से नहीं रुकेंगे हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सख्त कानून भी आवश्यक है लेकिन इसके लिए इस तरह के मामले में एक महीने के भीतर सजा का प्रावधान आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में यह मुकदमे चला कर एक माह में फैसले की व्यवस्था करनी चाहिए वहीं उन्होंने यह भी कहा कि यह संपूर्ण रूप से रोकने के लिए सरकार को सबसे पहले पूरे देशें में पूर्ण शराबबंदी लागू करनी चाहिए,वहीं अन्य प्रकार के सभी नशे जिसमें ध्रूम पान भी शामिल है सब पर रोक लगनी चाहिए,वहीं समाज को बेहतर बनाया जाना चाहिए ,जो शिक्षा के बिना संभव नहीं है।
पैगम्बर ने एक आदर्श समाज की स्थापना की जिसका परिणाम यह हुआ कि लोगों में कानून का भय कानून की इज्जत के साथ आया वहीं लोग दूषित सोच से पाक रहे ,क्योंकि बलात्कार जहां एक जघन्य कृत्य है वहीं एक दूषित मानसिकता का परिणाम है हमें मानसिकता और इस घिनौने विचार पर रोक लगानी है और इसके लिए व्यापक अभियान चलाना है ताकि बलात्कारी सोच को समाप्त किया जा सके।
बैठक में बाबरी मस्जिद मामले में दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर भी बात हुई और बोर्ड अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि हमारा काम दिल जीतना है ,हम अपना काम कर रहे हैं हम इस मामले के पक्षकार नहीं लिहाज़ा हम आम मुसलमानों की तरह अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।
By: Yunus Mohani

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