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बिना जुर्म के सज़ा तर्कसंगत नहीं : सय्यद मोहम्मद अशरफ

30 जुलाई,दिल्ली देश में तीन तलाक़ पर बने कानून पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड के अध्यक्ष एवं वर्ल्ड सूफी फोरम के चेय

30 जुलाई,दिल्ली
देश में तीन तलाक़ पर बने कानून पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड के अध्यक्ष एवं वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने कहा कि यह कैसा कानून है जिसमें वह जुर्म जिसके लिए सज़ा दी जा रही है वह हो ही नहीं रहा है जो समझ में आने वाली बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ को अमान्य घोषित कर दिया है तो कानून बनाकर सज़ा किस बात की दी जाएगी, इसको सरकार स्पष्ट करे, उन्होंने कहा कि इसपर दुबारा विचार किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि हम एक समय में दी जाने वाली तीन तलाक़ पर कानून बनाने का विरोध नहीं करते लेकिन इसे व्यावाहरिक होना चाहिए, इसपर दुबारा मंथन किया जाना चाहिए जल्दबाजी में लिया गया निर्णय न्याय का मज़ाक बनाने वाला प्रतीत होता है।
उन्होंने सवाल किया कि यह कैसे सुनिश्चित होगा कि इस कानून का दुरपयोग नहीं होगा,सरकार बताए कि जब पति जेल में होगा तो गुज़ारा भत्ता कहां से देगा ? जब पत्नी पति को जेल भेज देगी और उसके बाद उसे उसी के साथ रहना होगा तो हिंसा नहीं होगी इसकी क्या गारंटी है ?
इंस्पेक्टर राज को रोकने का क्या प्रबंध है क्योंकि पत्नी या उसके खूनी रिश्तेदार की शिकायत पर बिना किसी वारंट के पुलिस आरोपी पति को हवालात में डाल देगी ,ऐसे में इससे पुलिसिया उत्पीड़न का नया अध्याय खुलेगा ।
उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में बनाया गया कानून समाज के हित में नहीं है, उन्होंने कहा कि मुसलमान देश के संविधान एवम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और करते रहेंगे ,शरीअत पर अमल करने से उनका संविधान से कोई टकराव नहीं होता, उन्होंने मुसलमानों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने घरों का माहौल इस्लामी बना लीजिए फिर आपको किसी कानून से डरने की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि जब बीवी और शौहर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर अमल करने वाले होंगे तो न घर में झगड़े होंगे न तलाक़ जैसी लानत होगी।
हज़रत ने कहा कि हमें अपने दीन को समझ कर उस पर अमल करना होगा, यही हमारी निजात का दुनिया और आखरत दोनों जगह एक मात्र रास्ता है।

By: यूनुस मोहानी

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