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संसार में संगठित आतंकवाद के पहले शिकार हैं हज़रत अली- मौलाना अब्दुल मोईद अज़हरी

6 जून/ नई दिल्ली “संसार में संगठित आतंकवाद के पहले शिकार हैं हज़रत अली” यह बात आल  इंडिया उलमा व माशाईख बोर्ड यूथ के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल मोई

6 जून/ नई दिल्ली

“संसार में संगठित आतंकवाद के पहले शिकार हैं हज़रत अली” यह बात आल  इंडिया उलमा व माशाईख बोर्ड यूथ के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल मोईद अजहरी ने बोर्ड के केन्द्रीय कार्यालय में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत के मौक़े पर आयोजित कार्यक्रम ‘द फर्स्ट विक्टिम ऑफ टेररिज्म हज़रत अली ‘ में बोलते हुए कही।

मौलाना ने कहा कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत दुनिया की तारीख में संगठित आतंकवाद की पहली घटना है उसके बाद से आतंकी संगठन अमन के दुश्मन बनकर अलग अलग रूप में नजर आते रहे हैं लेकिन इंसानी तारीख में कोई और घटना हज़रत अली की शहादत से पहले इस तरह की नहीं मिलती जहां वैचारिक आतंकवाद ने संगठित होकर हमला किया हो और जान का नुक़सान किया हो हालांकि पहले भी लोगों को क़त्ल किया गया है लेकिन वह संगठित आतंकवाद की श्रेणी में नहीं आता ।

कार्यक्रम में बोलते हुए गुलाम रसूल देहलवी ने कहा कि आतंकवाद के पहले दस्ते का नाम खारजी है और फिर इसका नाम हर दौर में बदलता रहा, कभी ये नासबी बनकर आया कभी यजीदी और इस वक़्त दाईश के रूप में दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हज़रत अली की शहादत अमन पर हमला था, न्याय के शासन में अपराधियों का दम घुट रहा था तो उन्होंने संगठित होकर आतंकी साजिश रची और इब्ने मुलजिम नाम के नौजवान ने हज़रत अली पर आत्मघाती हमला किया और आपको शहीद किया, इस तरह पहला आत्मघाती आतंकवादी हमला हज़रत अली पर किया गया, आत्मघाती इसलिए क्योंकि मस्जिद के अंदर हमले के बाद इब्ने मुलजिम को पता था कि वह पकड़ा जायेगा और मार दिया जायेगा।

पंडित श्री देव शर्मा जी ने कहा कि हज़रत अली अमन के पैरोकार थे और अमन के दुश्मन ने हज़रत अली को शहीद किया, आज दुनिया में खून खराबा हो रहा है वह उसी विचारधारा की देन है जो हज़रत अली की दुश्मन थी लोगों, को इस सोच से बचना चाहिए ।

आल  इंडिया उलमा व माशाईख बोर्ड के ऑफिस सेक्रेटरी जनाब यूनुस मोहानी ने कहा कि हज़रत अली ने फरमाया कि ‘अगर तुम्हे कोई इंसान छोटा नजर आता है तो इसका यह मतलब है कि या तो तुम उसे दूर से देख रहे हो या फिर गुरूर से, हज़रत अली अलैहिस्सलाम की यह बात अगर समझ जाएं तो सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष की आवश्यकता नहीं बचती।उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस को हज़रत अली से जोड़ते हुए कहा कि हज़रत अली पर्यावरण प्रेमी थे उन्होंने रेगिस्तान में खजूर के बागों की श्रंखला बना दी और उसे लोगों के लिए वक्फ कर दिया हज़रत अली दुनिया के पहले इंसान हैं जिन्हें आत्मघाती आतंकवादी हमले के जरिए शहीद किया गया।

कार्यक्रम का आग़ाज़ हाफिज मोहम्मद हुसैन शेरानी ने क़ुरआन पाक की तिलावत से किया और निज़ामत की ज़िम्मेदारी मौलाना अंजर अल्वी ने निभाई, जनाब सुहैल रिज़वी  ने भी अपने विचार रखे, सभा के अंत में हज़रत अली की नज़र हुईं और मुल्क एवम दुनिया में शांति की दुआ की गई।

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