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अमन वालों की ख़ामोशी भी ज़ुल्म है : सय्यद अशरफ

कोटा /11 दिसम्बर “अमन वालों कि ख़ामोशी भी ज़ुल्म है’ यह बात आल इंडिया उलेमा व मशायख बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने एक जलसे

कोटा /11 दिसम्बर “अमन वालों कि ख़ामोशी भी ज़ुल्म है’ यह बात आल इंडिया उलेमा व मशायख बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने एक जलसे में ख़िताब करते हुए कही .हजरत ने कहा सिर्फ ज़ुल्म करना ही इंसान को ज़ालिम नहीं बनाता बल्कि किसी के किसी के साथ ज़ुल्म करने पर खामोश रहना भी हमे ज़ालिम बनाता है .

उन्होंने कहा जिस तरह आये दिन वहशी दरिन्दे मजलूमों को अपना शिकार बना रहे है उन्हें मज़हब के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि उन्हें दरिन्दे के तौर पर देखा जाना चाहिये और उनके खिलाफ इंसानियत के तकाजे पर खड़ा होना चाहिए, लेकिन समाज में जिस तरह की नफरत घुल रही है वहां धर्म पैमाना बनता जा रहा है, जोकि धर्म है ही नहीं ,क्योंकि धर्म मोहब्बत का सन्देश देता है, ज़ुल्म को समाप्त करने का मार्ग दिखाता है, न कि हमें हिंसक पशु बनाता है .

हज़रत ने कहा पैगम्बरे अमनो शांति सल्लललाहूअलहिवसल्लम की तालीमात पर अमल करने से आदमी इंसान बनता है और इंसान ज़ालिम नहीं होता, क्योंकि ज़ालिम आदमी हो सकता है इंसान नहीं.हज़रत ने बिना धर्म सम्प्रदाये का फर्क किये अमन वालों से ज़ुल्म के खिलाफ खड़े हो जाने की अपील की. उन्होंने कहा कि रसूले खुदा का फरमान है कि ज़ालिम और मजलूम दोनों की मदद करो ज़ालिम की मदद यह है कि उसे ज़ुल्म से रोक दिया जाये .
अमन वालों की ख़ामोशी ज़ालिम को और ज़ालिम बनाती है इस चुप्पी को तोडना होगा सबको मोहब्बत के साथ एक जुट होकर ज़ालिम के खिलाफ खड़ा होना होगा पैगाम वही है “मोहब्बत सबके लिए नफरत किसी से नहीं “
जलसे को मौलना उमर अशरफी ने भी संबोधित किया और हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे .

BY: Yunus Mohani

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