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हज़रत मुहम्मद ﷺ की जीवनशैली पर अमल ही सफलता की कुंजी : अशरफुल अम्बिया सम्मेलन में सैयद मोहम्मद अशरफ किछौछवी का खिताब

दिल्ली -16 दिसंबर। बानिये इस्लाम हज़रत मोहम्मद  ﷺ. को अल्लाह  तआला ने  पूरी दुनिया के मार्गदर्शन के लिए भेजा और  अल्लाह तआला ने अपने महबूब को तमाम खू

दिल्ली -16 दिसंबर।

बानिये इस्लाम हज़रत मोहम्मद  ﷺ. को अल्लाह  तआला ने  पूरी दुनिया के मार्गदर्शन के लिए भेजा और  अल्लाह तआला ने अपने महबूब को तमाम खूबियों से नवाज़ा। यही  कारण है कि पैगम्बर ﷺ का जीवन  जहां मुसलमानों के लिए मार्गदर्शक है वहीं सारे मानव समाज  के लिए मिसाल है। ये  विचार हज़रत सैयद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने  ऑल इंडिया उलेमा मशाईख बोर्ड सीलमपुर, दिल्ली इकाई द्वारा शास्त्री पार्क में आयोजित एक जलसा बनाम अशरफुल अम्बिया सम्मेलन में व्यक्त किया।

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मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ किछौछवी  (सदर-ऑल इंडिया उलेमा मशाईख बोर्ड) ने अपने अध्यक्षीय भाषण में पैगम्बरﷺ की सीरत पर रोशनी डालते हुए अधिक कहा कि पैगम्बर ﷺ की पवित्र जीवनी मानव जाति के सभी के लिए नमूना है। आज पूरी मानवता को हुज़ूर  की सीरत से सबक लेने की जरूरत है क्योंकि आप ﷺने मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में  ऐसा लाजवाब नमूना पेश किया जिसका  उदाहरण मानव इतिहास  में न पहले था  और न आज तक कोई प्रस्तुत कर सका है।  आज हुज़ूर ﷺ की पवित्र जीवनी से पूरी मानवता को नैतिकता का सबक  लेना चाहिए क्योंकि पवित्र जीवनी  में ही वह नैतिक मूल्य हैं  जिन पर अमल करके  पूरी मानवता लोक  व परलोक में सफल  हो सकती है और सीरते रसूल (सल्ल) का पालन ही सफलता की  गारंटी है।

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सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मौलाना सैयद आलमगीर  अशरफ (अध्यक्ष  AIUMB महाराष्ट्र) ने अपने संबोधन में सीरते रसूल के  अमल पर  ज़ोर देते  हुए कहा कि पूरी दुनिया में शांति, सौहार्द , सहिष्णुता और शालीनता का  राज़ सिरते रसूल में छिपा है इसीलिए जब कोई मनुष्य पूर्ण तौर पर  हुज़ूर का. फररमानबरदार हो जाता  है  तो वह पूरी मानवता के लिए नैतिक मूल्यों का  का सूचक  बन जाता है।

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सय्यद  माज़ अशरफ ने अपने भाषण में मुसलमानों से हुज़ूर ﷺ कि जीवन शैली अपनाने की अपील की और कहा कि आज के दौर में हुज़ूर ﷺ की सीरत कोअपनाए बिना कोई चारा नहीं है क्योंकि पैगम्बर  ﷺ  की सीरत-ए-तैयबा में ही पूरी मानवता के लिए दिशा निर्देश मौजूद हैऔर सिरते नबी पर अमल करके पूरी मानवता शांति, सौहार्द का गहवारा  बन सकती है।

सम्मेलन की शुरूआत कारी मरगूब  की तिलावत कुरान से हुआ, कारी राहत अली ने सञ्चालन  किया और अनवर  कादरी बदायूंनी, मोहम्मद नदीम ने नाते नबी से लोगों को मोह लिया।

सम्मेलन में, सूफी अजमल निज़ामी, हज़रत मौलाना सैयद जावेद अली नक्शबंदी, सूफी एहसान, मौलाना हसनैन अशरफी,  हाफिज सलीम चिश्ती, रईस अहमद अशरफी , आस अशरफी , वकील अहमद अशरफी, अख्तर सिद्दीकी, सईद अहमद अशरफी, मौलाना वारिस अली क़दीरी , मौलाना मोहम्मद इलियास अशरफी, मौलाना शाहजहां, मोलाना रईस आलम क़दीरी , मौलाना आसिम अशरफी, मोलाना आशकार, मौलाना जहांगीर, कारी मुशर्रफ, नवाज़  अशरफ देहलवी, मोहम्मद ज़फर अशरफी के अलावा भारी संख्या में लोग मौजूद रहे सम्मलेन  का समापन  सलात व सलाम और दुआ पर हुआ ।

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