आज़ादी का अमृत उत्सव एक शाम आज़ादी के परवानों के नाम कार्यक्रम कर देश भर में मनाया आल इण्डिया उलमा व मशाइख बोर्ड ने। नई दिल्ली 14 अगस्त 2022 बस
आज़ादी का अमृत उत्सव एक शाम आज़ादी के परवानों के नाम कार्यक्रम कर देश भर में मनाया आल इण्डिया उलमा व मशाइख बोर्ड ने।
नई दिल्ली 14 अगस्त 2022
बस्ती निजामुद्दीन स्थित ग़ालिब अकेडिमी में ऑल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड ने हर साल की तरह इस बार भी आजादी की पूर्व संध्या पर दोपहर 2:30 बजे से कार्यक्रम आयोजित किया देश के अन्य इलाकों में भी इस नाम से कार्यक्रम आयोजित किए गए ।
दिल्ली प्रोग्राम में मुख्य रूप से बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी सहित जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय के प्रोफेसर ख्वाजा मोहम्मद इकरामुद्दीन, दिल्ली दरगाह हज़रत निजामुद्दीन औलिया के नायब सज्जादानशीन व बोर्ड के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य सय्यद फरीद अहमद निजामी,दिल्ली हज कमेटी मेंबर सैय्यद शादाब हुसैन रिजवी शामिल हुए।
इस अवसर पर बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने कहा कि मुल्क की आजादी के लिए सैकड़ों साल मेहनत और कुर्बानी देनी पड़ी है, मुल्क की आजादी की लड़ाई 1857 से नहीं बल्कि उससे भी 120 साल पहले से शुरू हुई जिसे हम नहीं जानते, इस लड़ाई में हमारे उलमा और मशाइख ने बड़ा किरदार निभाया, हज़रत ने इस अवसर पर कहा कि अगले साल इस प्रोग्राम में एक सेमिनार को भी शामिल किया जाएगा और आने वाले लोगों को लिखित दस्तावेज की शकल में इतिहास की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बिना अपने मुजाहिदीने आज़ादी को याद किए कोई आज़ादी का जश्न पूरा नहीं हो सकता।
प्रोफेसर ख्वाजा मोहम्मद इकरामुद्दीन ने इतिहास पर रोशनी डालते हुए बताया कि हमने किस तरह अपनी आज़ादी की तहरीक में की गई कुर्बानियों को भुला दिया या जानने की कोशिश ही नहीं की, उन्होंने कहा कि लगभग 80 हजार दस्तावेज लाइब्रेरियों में जमा हैं जिन्हें हमने देखा ही नहीं जिसमें हमारी दास्तानें भरी हुई हैं, हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उन्हें पढ़ें और लोगों तक अपना सही इतिहास पहुंचाएं।
सय्यद फरीद अहमद निज़ामी ने कहा कि इस बार मोहर्रम के महीने में आज़ादी का जश्न है, दरअसल कर्बला से ही हमें ज़ुल्म के खिलाफ किस तरह लड़ना है उसकी शिक्षा मिली तो इसमें ज़िक्रे हुसैन भी शामिल है, उन्होंने एक कलाम पढ़ कर अपना नज़राना पेश किया।
डॉक्टर सय्यद शादाब हुसैन रिज़वी अशरफी ने कहा कि तिरंगा झंडा हमारी पहचान है, बोर्ड पहले से इस तहरीक को चला रहा था कि हर जगह तिरंगा लहराया जाए, आज यह सपना पूरा होता दिख रहा है, उन्होंने कहा कि 1737 से 1947 तक की लंबी जद्दोजहद का नतीजा है हमारी आज़ादी, हमें इसे बरक़रार रखना है।
मौलाना अब्दुल मोईद अज़हरी ने कहा कि हम सिर्फ कुछ नामों को जानते हैं जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी जबकि फेहरिस्त हज़ारों की है, हमें उन सब को जानना होगा, उन्हीं में से एक नाम मजनू शाह मलंग का है जिन्होंने आज़ादी के लिए शहादत पाई जिनके बारे में लोग नहीं जानते जबकि हमें जानना चाहिए कि ख़ानक़ाहों का कितना बड़ा योगदान रहा है जंगे आज़ादी में।
मुफ्ती मंज़र मोहसिन ने भी खिताब किया, मौलाना ज़फरुद्दीन बरकाती और डॉक्टर नूरुल ऐन अली हक़ ने भी आज़ादी की लड़ाई में उलमा और मशाइख के अहम किरदार पर रोशनी डाली और नई नस्ल तक इन बातों को पहुंचाने पर जोर दिया।
डॉक्टर अख्तर हुसैन ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए ताकि हम सही इतिहास को जान सकें और आजादी की क़ीमत समझ सकें।
कार्यक्रम की शुरुआत क़ुरआन करीम की तिलावत से हुई,
मदरसा फातिमा निस्वां की बच्चियों ने कार्यक्रम पेश किए, कार्यक्रम का संचालन करते हुए यूनुस मोहानी ने तिरंगे की अहमियत पर प्रकाश डाला, वहीं पूरे देश के लोगों से अपील की “हर घर तिरंगा” अभियान के बाद आप अपने घरों की छत से तिरंगे को ससम्मान उतार लें और उसे सम्मान के साथ घर में रखें ऐसा न हो कि हम ऐसा करना भूल जाएं और अनजाने में राष्ट्र गौरव का अपमान हो जाए। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान हुआ और फिर हाफ़िज़ क़मरुद्दीन ने क़ुल पढ़ा उसके बाद हज़रत मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने मुल्क की तरक्की की दुआ की।
प्रोग्राम का आयोजन मौलाना अज़ीम अशरफ, मोहम्मद अशरफ सम्भली, आदिल ग़नी व बोर्ड दिल्ली शाखा के सदस्यों ने किया।
प्रोग्राम में कारी इरफ़ान खुरेजी, मौलाना ज़ुबैर अशरफी आस अशरफी, वकील अशरफी, रईस अशरफी, निज़ाम अशरफी और मदरसा व विश्वविद्यालों के विद्यार्थियों समेत कई लोगों ने शिरकत की।
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