अजमेर /27 नवंबर नबी ए पाक ने शिक्षा का न सिर्फ अधिकार दिया बल्कि शिक्षा को अनिवार्य कर दिया और सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं औरतों के लिए भी, यह बात AIUMB
अजमेर /27 नवंबर
नबी ए पाक ने शिक्षा का न सिर्फ अधिकार दिया बल्कि शिक्षा को अनिवार्य कर दिया और सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं औरतों के लिए भी, यह बात AIUMB के तेलंगाना राज्य के सदर सय्यद आले मुस्तफा पाशा ने दरगाह अजमेर शरीफ के अहाते में पहली बार आल इंडिया उलेमा व मशायक बोर्ड के द्वारा जश्ने आमदे अहमदे मुरसल के नाम से आयोजित महफ़िल ए मीलाद में कहीं ।
उन्होंने कहा दुनिया आज जिन चीज़ों को नया कह कर पेश कर रही है वह सब आज से 1400 साल पहले हमारे नबी ने करके दिखाया और बताया,लोग आज मानवाधिकारों की चर्चा करते हैं लेकिन कुर्बान जाइए नबी ए रहमत सल्ललल्लाहू अलैहि वसल्लम पर उस दौर में जब क़ानून ताकत का मोहताज था ताकतवर के हक में फैसला होता था ऐसे दौर में मजलूमों को हक दिया गया इंसाफ मजहबी बुनियाद पर नहीं शहरी होने की बुनियाद पर और इंसान होने की बुनियाद पर दिया गया।
औरतों को हक मिले यतीमों को सुरक्षा रहमते आलम ने सबको मोहब्ब्त दी नफरतों के जंगल कांट दिए उनका यौमे मिलाद हमे ऐसे ही मनाना चाहिए।
बोर्ड के गुजरात शाखा के जिम्मेदार हज़रत सय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि मजलूम की हिमायत पैगम्बर की तालीम हैं बेगुनाहों का खून बहाने वाले नबी के बागी हैं।
मौलाना सय्यद फैजान अशरफ ने कहा कि अमन वाले नबी ने ज़ुल्मत वाली पथरीली ज़मीन को मोहब्बत का मरकज बना दिया और हम सब को तालीम दी कि दुनिया को मोहब्बत का पैग़ाम किस तरह दिया जाए।
मुबीन अशरफ नईमी ने मिलादे नबी मनाने की मुखालफत करने वालों को क़ुरआन का हवाला देते हुए कहा कि मिलादे मुस्तफा मनाना क़ुरआन से साबित है ।
बोर्ड के संयुक्त सचिव सय्यद सलमान चिश्ती ने कहा कि हर जगह मिलादे मुस्तफा करीम मनाइए और हरे झंडे के साथ मुल्क के झंडे को भी लहराइए क्योंकि मुल्क से मोहब्ब्त आधा ईमान है ये मेरे आका का फरमान है।
जलसे की सदारत हज़रत मौलाना सय्यद शाहिद चिश्ती ने की संचालन मौलाना मुख्तार अशरफ ने किया जलसे का समापन सलातो सलाम के बाद मुल्क और दुनिया में अमन की दुआ के साथ हुआ ।
यूनुस मोहानी
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