देश में धार्मिक जुनून बहुत ज्यादा बढ़ गया है और अल्पसंख्यकों को बुरी तरह परेशान किया जा रहा है। देश भर में साम्प्रदायिक और विशेषकर मुसलमानों के खिला
देश में धार्मिक जुनून बहुत ज्यादा बढ़ गया है और अल्पसंख्यकों को बुरी तरह परेशान किया जा रहा है।
देश भर में साम्प्रदायिक और विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हुई घातक हिंसा की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रहीं हैं. और ये सभी घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती है कि देश एक खतरनाक दिशा की ओर अग्रसर है। देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक के लिए जीना दूभर किया जा रहा है। अब तो बात बात पर हमले किए जाते हैं और यहां तक कि हत्या कर दी जाती है।
मोहम्मद अखलाक का ग़म क्या कम था कि पहलू खान का मातम मनाना पड़ा। उनका शोक जारी ही था कि झारखंड में बच्चा चोरी के आरोप में नईम, सिराज और संजू को मौत की नींद सुला दिया गया। खून से लथपथ हाथ जोड़े हुए एक मुस्लिम युवक की तस्वीर अभी ज़हन से महव नहीं हुई थी कि राजस्थान के जफर हुसैन को धार्मिक जुनून की भेंट चढ़ा दिया गया।
अभी इस घटना की गूंज थमी भी नहीं थी कि जुनैद की बल्लभगढ़ में भीड़ ने पीटकर और चाकू मारकर हत्या कर दी. इसके अलावा भी ऐसी न जाने कितनी छोटे बड़ी घटनाएं घटित हो रहीं हैं जो सदियों से स्थापित धार्मिक भाईचारे की ईंट से ईंट बजा रहीं हैं। लेकिन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए न तो कोई कोशिश की जाती है और न ही अपराधियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई की जाती है। बल्कि इसके विपरीत उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है और परोक्ष रूप से उनकी सराहना भी होती है।
दूसरी तरफ सर्कार इस बात का ढिंढोरा पीट रही है कि पिछले तीन वर्षों में देश ने जबरदस्त प्रगति की है और सरकार ने ऐसे कार्य अंजाम दिए हैं जो 70 वर्षों में भी नहीं हुए थे। समझ में नहीं आता कि वह कौन सा कारनामा है जो क्रेडिट लेने के लिए मंत्रियों में होड़ लगी हुई है। बस यही एक उपलब्धि नज़र आती है कि देश में धार्मिक जुनून बहुत ज्यादा बढ़ गया है और अल्पसंख्यकों को बुरी तरह परेशान किया जा रहा है।
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